Painting (332)
Tutor Marked Assignment (2021-22)
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उत्तर-
शीर्षक – सारनाथ बुद्ध
माध्यम – बलुआ पत्थर
निर्माण काल – गुप्तकाल, पाँचवी शताब्दी
आकार – ऊँचाई 160 सेगी
शैली – गुप्तकालीन शैली
मूर्तिकार – अज्ञात
संग्रहालय – सारनाथ संग्रहालय, सारनाथ, मध्य प्रदेश।
सारनाथ बुद्ध मूर्ति में भगवान बुद्ध के शांत एवं गम्भीर मुखमंडल को धर्मचक्र प्रवर्तन की मुद्रा में मूर्तिकार ने दिखाया है; जिसमें भगवान बुद्ध की आधी खुली आँखे, शांति के भाव, धुंघराले केश तथा ध्यानमग्नता दर्शनीय
भगवान बुद्ध पद्मासन में बैठे हैं। यह मूर्ति पाँचवीं शताब्दी की गुप्त कला की सर्वश्रेष्ठ नमूना है। उस काल में भारतीय मूर्तिकार अधिकतर धर्म से संबंधित मूर्तियों का निर्माण करते थे।
Q2 (a) किन्हीं चार मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए जिसकी वजह से ताजमहल को मुगल वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण कहा जाता है।
उत्तर- ताजमहल को मुगल वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण कहने के चार मुख्य कारण निम्नलिखित है?-
1. ताजमहल सफेद संगमरगर की खूबसूरत संरचना है जिसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था।
2. आंतरिक प्रेम का यह प्रतीक मुगल वास्तुकला की सर्वोत्कृष्टता है।
3. ताजमहल 1632 और 1648 के बीच शाहजहाँ के द्वारा बनवाया गया था।
4. यह स्वर्ग के इस्लागी उद्यान का प्रतिनिधित्व करता हैं और व्यापक रूप से गूगल वास्तुकला में सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में माना जाता है।
Q3 (b) समकालीन भारतीय कला के क्षेत्र में चार कलाकारों के नाम लिखिए। उनमें से किसी एक कलाकार के कला क्षेत्र में योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर- समकालीन काल के क्षेत्र में चार कलाकारों के नाम इस प्रकार है:-
(1) राजा रवि वर्गा
(2) अबनिन्द्रनाथ टैगोर
(3) अग्रिता शेरगिल
(4) रवीन्द्र नाथ टैगोर
यहां हम समसमायिक काल क्षेत्र में रवींद्र नाथ टैगोर के बारे चर्चा करता है:-
रवींद्र नाथ टैगोर को “ गुरू देवी के नाम से जाना जाता है। वह भारत के सबसे प्रतिष्ठित पुनर्जागरण के आंकड़ों में से एक थे, जिन्होंने 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने पर भारत को दुनिया के शास्त्रीय मानचित्र पर रखा।
अत्याधिक विपुल कलाकार, टैगोर को एक कवि के रूप में जाना जाता था।
Q4. (b) कंपनी स्कूल को पटना स्कूल के नाम से भी क्यों जाना जाता है ?
उत्तर- ब्रिटिश व्यापारी 16वीं शताब्दी में भारत आए और 18वीं शताब्दी में भारत के शासक का गए । “कंपनी” पेंटिंग ” नाग का प्रयोग कला इतिहासकारों द्वारा भारतीय पेंटिंग की विशेष शैली के लिए किया गया है, जो यूरोपियन रुचि से प्रभावित थी और जिसे यूरोपियन लोगों के लिए ही विकसित किया गया।
मुगल तथा राजस्थानी लघु चित्र के पतन के पश्चात् अंग्रेजों की संरक्षता में कम्पनी शैली चित्रकला का विकास हुआ। पंछी एवं जानवर पेड़-पौधों आदि के प्रति भारतीय कला रसिकों की रुचि ने विदेशी कला रसिकों को भी प्रभावित किया। अंग्रेजों ने भारत के शासक बनने के पश्चात् इस तरह की चित्रकला को संरक्षण दिया, जिसे कम्पनी चित्रकला या पटना स्कूल की चित्रकला के नाम से जाना गया। इन चित्रों के विकास के पीछे विदेशी रुचि के साथ-साथ विदेशी प्रभाव भी स्पष्ट है। नि: संदेह भारतीय चित्रकला तथा सर संस्कृति में भारतीय शैली के साथ यूरोपीय शैली के मिलन का यह उत्तम उदाहरण है।
Q5 (a) तंजौर पेंटिंग की तकनीक का वर्णन करें। डेक्कन पेंटिंग की चार मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- तंजौर पेंटिंग:- भारतीय चित्रकला शैली में तंजौर शैली एक अनोखा स्थान रखती है, क्योंकि एक ओर तो ये गतकाशी की हुई तथा चित्रित कष्ट से मिलती है। दूसरी ओर इसमें इल, सोना, चांदी, रंगीन पत्थर आदि का प्रयोग है। 16वीं शताब्दी में तमिलनाडु के तंजौर में इस शैली का उद्गम हुआ परन्तु दक्षिण में तथा उत्तर गें भी इस प्रकार के चित्र मिलते हैं। विषय वस्तु गुरष्य रूप में पौराणिक है। राम, कृष्ण, गणेश आदि देवताओं के चित्र अधिक संख्या में उपलब्ध हैं। अधिकतर तंजौर चित्र 19वीं शताब्दी में बने । इस चित्र में देवी सरस्वती को वीणा बजाते हुए दर्शाया गया है। देवी के चार हाथ हैं तथा वह सिंहासन पर बैठी हैं। चित्र के अलंकरण सुन्दर ढंगू से किया गया है। अलंकरण का मूलभाव भारतीय शास्त्रीय कला पर आधारित है और बड़ी सूक्ष्मता से स्पष्ट किया गया है।
डेक्कन पेंटिंग की चार मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं:-
(1) डेक्कन पेंटिंग बहुत सजावटी होती है।
(2) डेक्कन पेंटिंग सजावटी विशेष रूप से हैदराबादी पेंटिंग जैसी होती है, जैसे फूलों की क्यारियां, समृद्ध वेशभूषा और शानदार रंग चेहरे की विशेषता आदि।
(3) बोल्ड ड्राइंग, धागांकन तकनीक का समृद्ध उपयोग
(4) तंजौर पेंटिंग में शुरू और शानदार रंगों का निखार।
उत्तर-