Geography – 316
Tutor Marked Assignment (2021-22)
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प्रश्न 1. (a) निम्नलिखित क्षेत्रों में तल संतुलन का कौन-सा कारक अधिक प्रभावशाली तरीके से कार्य कर रहा है ?
(1) अरावली पर्वत
(2) तटीय मैदान
(3) थार मरुस्थल
(4) दक्कन पठार
उत्तर:- निम्नलिखित क्षेत्रों में तल संतुलन का निम्न कारक अधिक प्रभावशाली तरीके से कार्य कर रहा है:
(i) अरावली पर्वत :- नदियाँ यहाँ की सबसे अधिक प्रभावशाली तरीके से कार्य करता है जो तल संतुलन का कारक है।
(ii) तटीय मैदान:- समुद्र की लहरें तर और तट पर उन्जयन का प्रभावी कारक है।
(iii) भार मरुस्थल :- थार मरूस्थल की अधिक प्रभावशाली कारण मरुस्थलीय हवा है।
(iv) दक्कन पठार :- दक्कन पठार का सबसे प्रभावशाली कारक नदियाँ हैं।
प्रश्न 2. (b) विवर्तनिक क्रियाएँ प्लेट सीमाओं के साथ घनिष्ठ रूप से कैसे संबद्ध है?
उत्तर :- टेक्टोनिक्स प्लेट :- ये टेक्टोनिक्स प्लेट्स कन्नेक्टिंग मेंटल पर टिकी होती हैं, जिससे वह हिलती हैं। इन प्लेटों की हलचल भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, और अधिक सूक्ष्म लेकिन जैसे पहाड़ों के निर्माण जैसी ध्यान देने योग्य घटनाओं भूगर्भीय घटनाओं के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
प्रश्न 3. (b) अपने क्षेत्र मे पाये जाने वाले किन्ही दो जैविक संसाधनों की पहचान कीजिए जिनका क्षरण हो रहा है। इनके संरक्षण हेतु कोई दो उपाय सुझाइए।
उतर :- हमारे क्षेत्र में दो जैविक संसाधनों का हास हो रहा है:
(1) पेड़-पौधे
(2) जलिय जीव
(1) पेड़-पौधे :- जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि पर की कटाई अधिक हो रही है। बढ़ती जनसंख्या की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में पेड़- पौधों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। जंगलों के कारण ही बारिश होती है। लेकिन जंगलों का अंधाधुंध विनाश के चलते पर्यावरण का अस्तित्व खतरे में है। नतीजतन मानव जीवन खतरे में भी है |
(2) जलिय जीव :- उद्योगों में इस्तेमाल किये गए जहरीले पदार्थ जो उद्योगों से सीधे नहर, नदियाँ और,जालों में जाते हैं, जो बहुत ही खतरनाक रसायन होते हैं। इस कारण जल में रहने वाले जलिम जीव जैसे:- मछली, मगरमच्छ तथा जल में रहने वाले अन्य जीवों के स्वस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है।यदि हम इन मछलियों का भोजन के रूप में सेवन करते हैं तो हमारा स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है।
प्रश्न 4. (a) व्याख्या कीजिए कि वैश्वीकरण ने भारत में कृषि किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:- वैश्वीकरण ने भारत में कृषि को निम्न प्रकार से प्रभावित लिया है
(1) वैश्वीकरण के कारण भारतीय किसानों को इन उत्पादों के लिए वर्ष दर वर्ष आधार पर बड़े पैमाने पर उतार चढ़ाव के लिए बहुत अस्थिर कीमतों को मजबूर करना पड़ता है।
(2) प्रमुख कृषि वस्तुओं के निर्यात को उदार बनाया गया है।
(3) फसलों की अधिक उपज देने वाली किस्मों की शुरूआत के साथ बड़ा परिवर्तन हुआ|
(4) अवसंरचना में निवेश के साथ नवपर्वतन और प्रसंस्करण सुधाओं के विस्तार से आधुनिक आदानों के उपयोग में उल्लेखनीय भी हुई।
प्रश्न 5. (b) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को उपयुक्त चिन्हों द्वारा दर्शाइए और उनके नाम भी लिखिए।
(i) काराकोरम श्रेणी (Karakoram range)
(ii) गोदावरी नदी (Godavari River)
(iii) कंचनजंघा चोटी (Kanchanjunga Peak)
(iv) जलोढ़ मिट्टी का क्षेत्र (Area of Alluvial Soil)
उत्तर:- हमारे घर के आस पास के बुजुर्गों से चर्चा करने पर पता चला की वे अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से आये थे, जल प्राप्ति के लिए वे निम्नलिखित स्रोतों पर निर्भर थे :-
(1) कुऐं
(2) नदी
(3) नहर
(4) तालाब
(1) कुऐ :- कुऐं का जल सिंचाई तथा घरेलू उपयोग के लिए किया जाता है।
(2) नदी :- नदियाँ भी सिंचाई, मत्स्य पालन तथा घरेलू एवं औद्योगिक जल आपूर्ति का अच्छा स्रोत है।
(3) नहर :- नहर भी कृषि और मानव की जल आपूर्ति का स्रोत है।
(4) तालाब :- तालाब का उपयोग जहाने. अर्थात् मनुष्य तथा जानवरों (पशुओं) के नहाने के लिए किया जाता है। तालाब का उपयोग सिंचाई के लिए भी होता है।
» ग्रामीण लोग जल को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास करते थे:-
(1) भंडारण द्वारा सतह के पानी का संरक्षण
(2) वर्षाजल का संरक्षण
(3) भूमिगत जल संरक्षत्र
(4) पानी का पुनर्चक्रण
(5) घरेलू उपयोग में पानी का संरक्षण
वर्तमान में जल संरक्षण करने के लिए कई अन्य उपाय भी हैं, जो इस प्रकार है:-
(i) कृत्रिम पुनर्भरण :- कृत्रिम उपायों से भूमिगत जब को भरना ही एकमात्र विकल्प है।
(ii) टपकन टैंक विधि:- टपकन टैंक कृत्रिम पुनर्भरण के लिए जल कोर्स बनाये जाते हैं।
(iii) जलग्रहण क्षेत्र संरक्षण, कैप :- पहाड़ी क्षेत्रों की नदियों के ऊपर चेक-बाँध का निर्माण अस्थायी रूप से जल के प्रवाद की मदद करता है ताकि जल को भूमि में रिसने के लिए अधिक से अधिक समय मिल सके।
(iv) जल का अंत: बेसिन स्थानान्तरण:- जल का विस्तृत विश्लेषण एवं भूमि संसाधन एवं हमारे देश के विभिन्न नदी बेसिनों की संख्या की साख्यिकी इस बात का खुलासा करती है ऐसे क्षेत्र जो पश्चिमी स्वं पठारी क्षेत्रों, जिनमें कम जल संसाधन उपजाऊ भूमि का अनुपात तुलनात्मक रूप से कम हैं।
(v) ड्रिप छिड़काव सिंचाई को अपनाना :- ड्रिप या टपक सिंचाई पद्धति वह विधि है जिसमें जूल को मंद गति से बूँद-बूँद के रूप में फसलों के जड़ क्षेत्र में एक छोटी व्यास की प्लास्टिक पाइप से प्रदान किया जाता है।